Swati Sharma

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लेखनी कहानी -14-Dec-2022 :- वो लड़की

दैनिक प्रतियोगिता:-


वो लड़की:-

              नवरात्रि का पर्व था। कौनसा दिन था यह तो याद नहीं। परंतु, यह याद है कि मैं हमेशा की भांति पूजा के पश्चात् मंदिर में दर्शन के लिए जा रही थी। शिवजी के मंदिर में ही मातारानी का भी मंदिर था तो, वहीं दर्शन करके साईं बाबा मंदिर भी चली जाती थी।
              परंतु, उस दिन कुछ अद्भुत ही घटित हुआ। मैं शिव मंदिर से पूजन करके बाहर आई ही थी और मंदिर के सामने खड़े सब्जी वाले से सब्ज़ी खरीद रही थी कि इतने में एक सुंदर- सी लड़की मुझे पीछे से आवाज़ लगाकर कुछ मांगने लगी। वैसे वहां हमेशा कुछ बच्चे पैसे मांग करते थे। परंतु, मैं उन्हें यदा कदा ही पैसे देती थी। क्योंकि एक बार यदि उन्हें पैसे दे दिए तो वे पीछे पीछे दूर तक आ जाते। यदि एक को दो तो दूसरा मांगता। उसे ना दो तो फिर वही बात कि उसे तो दे दिया मुझे नहीं दिया। एक और को दे दो तो तीसरा आ जाता। इसीलिए ऐसी परिस्थिति में, मैं जहां तक हो नहीं देती थी।
              परंतु, उस दिन अजीब ही हुआ, वो लड़की उनमें से कोई नहीं थी। मैंने उसे कभी वहां पहले देखा भी नहीं। जबकि बाकी मांगने वाले बच्चे वहीं हर बार मुझे नजर आते थे। वो लड़की देखने में भी अच्छे घर की लग रही थी। ना तो बाकी बच्चों की तरह गंदी थी ना ही उसके कपड़े गंदे थे। सुंदर भी दिखती थी।
               वो लड़की... ना जाने कौन थी?
                                       कहां से आई थी? 
                                               किसकी थी?
               पता नहीं ! परंतु, जब उसने मुझे आवाज़ लगाई, मैंने पहले नज़रंदाज़ कर दिया। दो तीन बार ऐसा ही हुआ। फिर कुछ सेकंड्स बाद मैने सोचा आज कोई और बच्चा नहीं है इसे कुछ दे ही देती हूं। अतः जिज्ञासावश कि एक अच्छे घर की से देर लड़की को भीख मांगने की क्या आवश्यकता भला ? जैसे ही ये सब बातें सोच मैं पीछे मुड़ी वो लड़की गायब थी!
               मैंने ढूंढा, बहुत ढूंढा। कहां गई होगी? फिर सोचा यहीं कहीं होगी। अभी कुछ ही तो सेकंड्स हुए हैं। पूरे मंदिर में ढूंढ आई, एक चिड़ी का बच्चा नहीं मिला तो वो लड़की भला कहां मन वाली थी। परंतु, मेरा मन व्याकुल हो रहा था। कहां चली गई वो लड़की? बार- बार मन में प्रश्न उठ रहा था। आसमान खा गया या जमीन निगल गई!!
                मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मैं थक हार कर वापस सब्ज़ी वाली के पास आकर खड़ी हो गई। उनसे पूछा अपने वो लड़की देखी, जो मुझे पैसे मांग रही थी। उसने कहा कौनसी? मैंने तो नहीं देखी।
मैंने सोचा शायद पीछे बैठी फूल वाली ने देखी होगी। उनसे पूछा आपने वो लड़की देखी, जो मुझसे पैसे मांग रही थी। उन्होंने भी यही प्रश्न किया कौनसी लड़की? आपसे कब पैसे मांग रही थी? 
                मेरा सर चकराने लगा। चुपचाप सब्ज़ी उठाकर मैं साईं बाबा के दर्शन कर वापस घर आ गई। जब यह बात घर पर बताई तो सबने यही कहा मातारानी आईं होंगी तेरी परीक्षा लेने। मैंने भी सोचा इस कलयुग में भला मां कहां आने वाली हैं। ऐसा कभी कभार हो भी जाता है, शायद कोई चमत्कार; कुछ लोगों ने यह भी कहा। चाहे जो भी हो परंतु, वो लड़की मेरे जेहन में एक रहस्यमई लड़की बन गई। खैर, जो भी हो चाहे वो मां का चमत्कार हो या मां की परीक्षा: यदि सच में परीक्षा थी, तो मैं उसमें पास हुई या फेल! चाहे मां आशीर्वाद देने आई हों या मां मात्र दर्शन देने। चाहे वो मातारानी हों या फिर वाकई में कोई जरूरतमंद; जिसकी में सहायता नहीं कर पाई। इस बात के मलाल को दूर करने हेतु मैंने कुछ रुपए मंदिर की दान पेटी में दान कर दिए।

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12 Comments

Babita patel

25-Jul-2023 02:51 PM

Awesome

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Swati Sharma

31-Jul-2023 12:40 PM

Thank you ma'am

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RISHITA

22-Jul-2023 09:26 AM

Nice

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Swati Sharma

31-Jul-2023 12:40 PM

Thank you ma'am

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Gunjan Kamal

17-Dec-2022 09:04 PM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 🙏🏻🙏🏻

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Swati Sharma

18-Dec-2022 12:04 AM

Shukriya ma'am 🙏🏻😇

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